कालः पचति भूतानि, कालः संहरते प्रजाः
कालः सुप्तेषु जागर्ति, कालो हि दुरतिक्रमः ||
कहतें हैं की इंसान का बस सिर्फ एक तय सीमा तक ही सिमित है। उसके बाद इंसान बेबस हो जाता हे। कुछ ऐसा ही हो रहा हे हम सब के साथ। ये जंग अभी भी जारी हे कोरोना का जंग।
"आप समझ नहीं रहें है। मेराा वहां जाना बेहद जरूरी है। ये समय बहस करने का नहीं हे। मेरी बीवी अंदर मर रही हे। उसके पास कोई नहीं हे। मुझे अंदर जाने दो"
ये कहते हुए मैने एक 70 साल के बुजुर्ग आदमी को रोते हुए देखा। मेरे पास उनके करीब जाने का भी वक़्त नहीं था।कुछ देर तक मुझे मेरे चैम्बर तक उनकी आवाज़ सुनाई दी फिर आवाज़ आनी बंद होगयी। अस्पताल के कुछ लोग उन्हें धका मारके बाहर निकाल देते है। मेरे सामने हो रहे इस सर्मनाक बकिए को देख कर में सन्न रह गया। पर बिपति के समय धैर्य रखना ही एक डॉक्टर की पहचान होती हे। तवी मेरे पीछे से आवाज़ आयी
डॉक्टर आप यहां खड़े है ! चलिए वक़्त बहोत ही कम है। में चाहकर भी उस बूढ़े आदमी की कोई मदत नहीं कर सका । एक के बदले पचास लोगों के जान दाऊ पे लगी थी। एक दरिंदे ने पूरे मानव समाज को अपने कब्जे में कर रखा था। मेरे पूरे डॉक्टर जीवन में ऐसा हालत मैने नहीं देखा था। ये एक महाामारी थी। सच कहूं तो एक चेताबनी।
मरीज को यहां लाओ। जल्दी करो। उस आदमी को जल्दी से ओक्सीजन दो। डॉक्टर हमारे पास ओक्सीजन की बहोत कमी हे। मरिया ने मुझे धीरे से बताया। मरिया मेरी सबसे अछि दोस्त हे। और एक काबिल नर्स भी।
डॉक्टर में मरना नहीं चाहता। में सांस नहीं ले परहा। कुछ करो डॉक्टर ।
तुम्हे कुछ नहीं होगा। जल्दी से सिलिंडर लाओ नर्स। मैंने ऊँची आवाज़ में मरिया से कहा।
हमारे पास और नहीं है डॉक्टर।
क्या मतलब नहीं है? वो इंसान मर जाएगा। हमे बचाना होगा उसे मारिया। वो सांस नहीं ले पा राहा । अब में अपना धैर्य खोने लगा था।
कहां से लाऊं डॉक्टर । पूरा सिस्टम काम में लग चुका है।
हमे किसिके मरने तक का इंतेज़ार करना होगा। तब जाके सायद एक मिल पाए। ये कह कर मरिया ओक्सीजन के जुगाड़ में लग गयी।
ये सुनकर मेरे आंखों से आंसुओं की नजाने कितने बूंदे बेहगाए। पर उन्हें खुल कर बेहेने देने की इजाजत नहीं थी मुझे। इंतजार अलावा मेरे पास कोई बिकल्प सेस नहीं था। दर्द भरी इस जुंग में मेरे सामने ही एक जिंदेगी ने उमिद के साथ अपना दम तोड दिया।
करीब आधे घंटे बाद मारिया भाग ते हुए आके बोली - डॉक्टर एक सिलिंडर खाली हुआ। आप उस मरीज को ले अयी ये।
बोहोत देर होचुकी है मारिया । उम्मीद हार चुकिहे। वो मर चुका है। मुझे टूटता हुआ देख मरिया ने समझते हुए मुझे कहा - नहीं डॉक्टर उम्मीद अभी भी जिंदा है। पूरी दुनिया उमिद पे कायम है। और वो उम्मीद आप हो डॉक्टर। पूरी दुनिया इस भरोसे इस दरिंदे से लड़ रही हे क्यों के उन्हें यकीं हे के डॉक्टर्स उहने बचा लेंगे। आप यूँ पीछे नहीं हैट सकते।
मैने नम आंखों से मारिया को देखा। लगा जैसे उम्मीद की आखरी किरण अभी भी है।
लोग हजारों के तादात में मर रहे है। इंसानियत अपने घुटने टेक चुका था। तबाही का वो आलम था जिसे लब्ज़ों में बयान कर पाना सायाद ही मुमकिन हो पाए।
आज से 55 दिन पहले।
डॉक्टर आपको सादी की पहली सालगिरह मुबरखो। उसदिन हमारी पहली सालगिरह थी। घर पर एक बड़ी पार्टी राखी हुई थी.
क्या बात है आज खूब जच रही है इस पिंक गाउन में।
बस भी करिए डॉक्टर ।
डॉक्टर पूरी दुनिया के लिए हूं। भला कौनसी बीवी ऐसी होगी जो अपने पति को डॉक्टर केह के बुलाती होगी ?में बुलाती हूं ।
क्यूं के आप दुनिया के सबसे अच्छे डॉक्टर हो।
सही कहा मैडम अपने।
तभी किसीने दरवाजा खट खटाया।
अरे मारिया आओ आओ।
आप दोनों को सादी की पहली सालगिरह मुबरखो।
बच्चे कहां है तुम्हारे
वो बाहर लॉन में है डॉक्टर।
मारिया मेरी हॉस्पिटल की सबसे काबिल नर्स थी।
और मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी।
पूरे 8साल के मेडिकल कैरियर में मैने मारिया जैसी काबिल नर्स नहीं देखा शहर के बड़े बड़े लोग पार्टी में सिरकत करने आए है। उन्मेसे एक मेयर साहब थे। मुझसे बात करते हुए बोले -
डॉक्टर साहब कैसे है आप?में ठीक हूं मयर सर। आप बताईए।सुना हे आप कुछ तयार कर रहें हे।
जी हाँ। मैने हमारे पास वाले टाउन में एक नया हॉस्पिटल बन बाने के लिए एक नया प्रोजेक्ट तैयार किया है। अगर आप मेरी कुछ मदत कर सके ?
हमारे शहर में तीन बेहद बड़े बड़े हॉस्पिटल है डॉक्टर हमें और अस्पताल बनाने की क्या जरूरत है। और आज के दिन में भी आप दूसरे लोगों के बारेमे सोच रहें है। पिछली बार सायद अपने कोरोना को हलके में लेलिया ? आपको क्या लगता हे वो चला गया ? नहीं सर हमे तैयार रहना चाहिए आज भी हमारे पास पर्याप्त चीज़े नहीं हे। आप बीती बातों को भूल जाइये डॉक्टर ये सब पुराना हो गया हे। लोग भूलने लगे हैं। बेहतर होगा आप भी भूल जाइये। में आप के लिए कहीं घूम के आने का बंदोबस्त करता हूँ। ये कह के वो चले गए।
मारिया मेरे पास आई और मुझ से कहा कि कोई नहीं डॉक्टर उम्मीद पर दुनिया कायम है। इस साल नहीं तो अगले साल ही सेही पर हम हॉस्पिटल जरूर बनाएंगे।धीरे-धीरे पार्टी खत्म होने लगी।ठीक है डॉक्टर तो फिर मैं चलती हूं कल आपसे मुलाकात होगी। यह कहकर मारिया चली गई ।पार्टी में आए सारे बड़े-बड़े लोग धीरे-धीरे पार्टी खत्म करके जाने लगे ।और आखिरकार पार्टी खत्म होने के बाद मैं और मेरी पत्नी हम दोनों लन में बैठकर खुली आसमानों में तारे को निहारते रहे। तभी मेरी पत्नी ने मेरे कंधे पर सर रखकर मुझसे बोली -तुम जो हमेशा गरीब लोगों के बारे में सोचते रहते हो तुम्हारी इसी बात पर मुझे बहुत ही ज्यादा प्यार आता है ।
सिर्फ डॉक्टर बन जाना बड़ी बात नहीं है एक अच्छा डॉक्टर बन पाना वो एक अलग ही चीज है। और वह सब मैंने तुम में पाया है। मैंने हमेशा ही एक अच्छे डॉक्टर को दिखा इसीलिए हमेशा तुम्हें डॉक्टर के नाम से बुलाती हूं। पता नहीं चल पाया कि वो रात कैसे गुजर गयी ।
सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने पाया कि शहर में एक अफरा-तफरी मची हुई है। कुछ लोग हमारे घर के पास खड़े होकर घबराकर पुलिस को कुछ बता रहे थे। तभी अचानक मेरी फोन की घंटी बज उठी मैंने फोन उठाया तो उस तरफ से मरीया ने घबराहट से आवाज से मुझसे कहा डॉक्टर जल्दी आ जाइए अस्पताल । अचानक से कोरोना के दस मरीज़ सामने आये हैं। और उनमे से दो की हालत बहत नाजुक हे। सायद ये पहले वाले से ज्यादा खतनाक हे। काफी तेज़ी से फेल रहा हे।
ये सुनते ही में तुरंत निकल पड़ा। बोर्ड की मीटिंग बुलाई गयी थी।
डॉक्टर आप को मीटिंग में बुलाया गया है । जल्दी से चालिए मीटिंग शुरू हो चुकी है।
मैंने मारिया को गौर से देखा उसकी आंखों में अजीब सी चिंता चाई हो रही थी। एक ऐसी घबराहट मानो जैसे आगे एक बड़ा सा तूफान हम सब का इंतजार कर रहा है । मीटिंग ख़तम करके में अपने चैम्बर लौट रहा था तब मुझे मरिया मिली।
क्या हुआ डॉक्टर मीटिंग में क्या बताएं ? स्थिति बहुत गंभीर है मारिया शहर में अब तक ऐसे शोकेस आ चुके हैं और यह संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है अगर लोगों को रोका नहीं गया तो यह समस्या बहुत जटिल हो सकती है शायद यह इस वायरस का सबसे ताकतवर स्ट्रेन हो। इस बार संक्रमण होने के आसार पिछली बार से 6 गुना ज्यादा है। यह सुनते ही मारिया के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती थी। पिछली बार उसने कई ऐसे हालातों का सामना किया है जिसने उसे अंदर से हिला दिया था। और दोबारा उसे उस हालत में जाने की कोई दिलचस्पी नहीं थी।
जो संख्या सुबह तक मैच 100 तक थी सांस खत्म होते-होते रात को वह संख्या 190 तक पहुंच चुकी थी अभी समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि हम उस स्थिति में दोबारा जाने वाले हैं जहां से लौट आने की खुशी हम सबको थी। और इस बार हमसे बहुत बड़ी गलती हो चुकी थी। हमने हमारे दुश्मन को पहलीबर से कमजोर समझने की भूल कर चुके थे। जबकि वह पहले से कहीं और ताकतवर बनकर लौटा था।
देखते ही देखते दो-तीन दिन के अंदर यह तादाद 300 के पार चला गया। देश में जो सारी घटनाएं घट रही थी उसे देखकर यह लग नहीं रहा था कि लोगों को पिछली बार से कोई फर्क पडा है लेकिन फर्क तब पड़ना शुरू हुआ जब अप्रैल की दूसरे हफ्ते की शुरुआत हुई। इंसानियत की एक ऐसी दुर्दशा होने वाली थी जिसे देखकर किसी के भी रूह कांप जाए। जो तादाद 200-300 में अटका हुआ था। अब वह दस हजार के पार चला गया था।अब लोग अस्पतालों में इकट्ठा होने शुरू हो गए ।
हमें इस बार सख्त निर्देश थे कि हम किसी भी तरह स्थिति को नियंत्रण में रखें। इस बार कोरोना से लड़ने के लिए पहले से ज्यादा एक्सपीरियंस था हमारे पास और शायद हम इस बार कॉरोना को हराने में कामयाब हो भी जाते। तब हम सब से हुई एक बहुत बड़ी गलती।जिस गलती ने मुझे और मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल के रख दिया। कोरोना का जंग अब हम हारने वाले थे !
कहानी का दूसरा तथा अंतिम भाग जल्द ही प्रकाशित होगा।