जब एक प्रेत आत्मा ने केहेर ढाया - भाग 2


जब एक प्रेत आत्मा ने केहेर ढाया - भाग 2


मुखिया जी के ख़ानदान पे जो मुसीबत आ पड़ी थी उससे वो भली भांति वाकिफ थे। कालिया ने मौत का खेल फिरसे सुरु करवा दिया था। कालिया का पूरा परिबार मारा जा चूका था। वो अब किसी भी हाल में उस प्रेत आत्मा को मारना चाहा ता था। लेकिन ये कोई भी नेही जनता था के आगे क्या होगा। मुखिया  जी  के दो बेटे थे जो सेहर में रहते थे। मुखिया जी  ने बचपन से ही उनको गाऊँ से दूर रखा था। पर मुखिया जी को उनकी चिंता सताने लगी। कहीं ये प्रेत आत्मा उनका नुकसान न कर बैठे। मुखिया जी ने बिना देरी किये गाऊँ के माहा काल मंदिर जाके अपने कुल पुरोहित से मिले । अब कुछ नहीं हो सकता, कुल पुरोहित ने बड़े ही निरसा से सर को झुका के गहरी सांसे लेते हुए कहा। वो आत्मा अब पहले से काई अधिक ताकत बर हो चुकि हे। उसके सामने जाना अपने मौत को दावत देने जैसा होगा। .माहा काल का कबच हटते ही उस आत्मा को अपनी असीम शक्तियां  वापस मिल गयी हे। और उसके अतृप्त इच्छाओं के साथ वो अब पहेले से काई ज्यादा खतनाक होचुकी होगी। कुल पंडित से निरास होने के बाद उनके पास एक ही रास्ता था के वो अपने परिबार को एकठा करले। और जितना हो सके उस भटकती रूह से दूर चले जाये। पर मुखिया जी को बहत जल्द एहसास होने वाला था के उनके ऊपर कितना बड़ा मुसीबत आने वाला हे। अगले दिन से उस प्रेत आत्मा ने अपना बदला पूरा करने के लिए एक एक कर के गाऊँ वालो को निशाना बनाना सुरु कर दिया। गाऊँ में मेहज  कुछ दिनों में ही कत्ले आम मच गया। हर रात कोई न कोई गायब होने लगा। हर परिबार जो मुखिया जी का सामान करता था उसे उस प्रेत आत्मा का ग़ुस्सा झेलना पड़ता था। धीरे धीरे ये बात साफ हो गयी के गाऊँ में अब जीना मुश्किल हो चूका था। गाऊँ में हवन और पूजा भी करवाया गया पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। गाऊँ वाले इससे परेशान होके गाऊँ छोड़के जाने लगे। ये सब मुखिया जी अपने आँखों के सामने होता हुआ देख रहे थे । इसी के चलते एक दिन मुखिया जी एक बहोत बड़े  तांत्रिक से मिलने जाते हे। और तांत्रिक को गाऊँ में लेके आते हे। तांत्रिक को देख लोगों में एक बिखरी हुई उम्मीद जागने लगता हे। पर खुनी सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले राहा था। गाऊँ में सायद ही अब कोई ऐसा परिबार होगा जिसने अपने परिबार मेसे किसीको न खोया हो। पर मुखिया के प्रति अपने सामान को जताने के खातिर कुछ परिबार अभी बी मुखिया के साथ खड़े थे। hindi stories

गाऊँ के हालत को देखते हुए तांत्रिक को ये जानने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा के गाऊँ पे किसी आत्मा का जबरदस्त केहर हे। उसने मुखिया जी से पूरी दास्ताँ सुनी। फिर उस तांत्रिक ने अपने झोले मेसे कुछ अभीर निकला और मुखिया  जी के घर के ठीक बीचो बिच बैठ गया। वो साधना में लीन होगया। इसीके साथ ही गाऊँ के लोगों में डर बढ़ने लगा। करीब एक घंटे तक साधना में लीन रहने के बाद वो उठा और जा के मुखिया जी के दादा जी के तस्वीर के आगे खड़ा होगया। "ये गाऊँ  सपित हो चुकी हे। वो प्रेत आत्मा बहोत सक्ति  साली हो गयी हे। उसकी अतृप्त इच्छाओं ने उससे और ताकत बर बना दिया हे। अब उससे रोकने का कोई रास्ता नहीं हे। " ये कह कर उस तांत्रिक ने मुखिया  जी के दादा जी के और इशारा किया। सब चौक गए। "क्या हुआ बाबा "मुखिया ने पुछा ? ये कौन हे ? तांत्रिक ने ईशारा करते हुए पुछा। ये मेरे दादा जी हे। मुखिया का जबाब सुनके तांत्रिक बोल उठा ये आत्मा इसके बंस के पीछे यानि के जब तक ये तुम्हारे ख़ानदान को मिटा नेही देती ये चैन से नहीं बैठेगी। मंटा हूँ इसकी दुश्मनी हमसे हे। हमारे से ख़ानदान से हे, तो फिर ये पुरे गाऊँ को अपना निशाना क्यों बना रही हे। मुखिया ने पुछा। वो आत्मा एक दुस्ट आत्मा बन चुकी हे। इसीलिए वो इस पूरे गाऊँ को तभा कर देना चाहती हे। hindi stories

पर इसका कोई इलाज तो होगा न ? मुखिया  जी बड़ी बेचैनी से ये सवाल पूछ रहे थे ।  इसका सिर्फ एक ही रास्ता हे। तांत्रिक ने बड़े ही धीमी आवाज़ में कहा। क्या उपाए हे बोलिये हम सब करेंगे ? तांत्रिक ने काहा के तुम्हारे गले में ये जो माहा काल का कबच हे उससे उतार दो। इस कबच के वजेसे वो आत्मा तुम्हारे नजदीक  नेही आ पारहि हे। और इसके चलते वो आत्मा इन मासूम गाऊँ वालों को अपना निशाना बना रही हे। ये सुनके मुखिया  जी एक दम सन होके अपने कुर्सी पे बैठ गये । गाऊँ  वालोँ के खुसी के खातिर अपने जीबन को खुर्बान  करना स्वीकार कर लिया।  hindi stories

पर सवाल अभी भी वही अटका हुआ था। क्या वो आत्मा सिर्फ मुखिया की जान लेके सबको छोड़ के चली जाएगी ? ऐसा मुमकिन होता हुआ नहीं दिख राहा था। वो कबच ही था जिसने मुखिया को अब तक बचा के रखा था। तभी मुखिया ने एक सुझाब दिया के जैसा कबच उसने पहना हे अगर वैसा ही कबच सारे गाऊँ वालों को पहना दिया जाये तो ? पर उसमे एक दिकत थी। उस कबच को बनाने की बिधि किसीको पता नहीं था। और  जिस किताब में ये बिधी लिखी हुई थी वो किताब कहाँ हे ये किसीको नहीं पता था। पर मुश्किल ये था के इतनेसारे कबच बनाने में बहोत दिन लग जायेंगे। तब तक वो आत्मा किसीको भी जिन्दा नहीं छोड़ेगी। मुखिया  जी को चारो और सिर्फ तबाही ही दिखनी लगी। आखिर कार अपने परिबार को बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी ख़तम होती हुई दिख रहीथी। तभी अचानक तांत्रिक ने मुखिया जी को किसी सीधी प्राप्त बाबा का पता दिया। पर दिकत ये थी के वो बाबा हमेसा सीधी में लीन रहते थे। इसीलिए उनके दर्सन  बड़ा ही दुर्लभ था। पर एक आखरी उम्मीद सिर्फ वही थे। जो इस पुरे गाऊँ को बचा सकते थे। अगले दिन सुबह मुखिया जी अपने कुछ भरोसे मंद लोगों साथ उनसे मिलने गए पर उनसे मुलाकात हो पाती तभी तेज़ तूफान के चलते उन्हें एक जगह पर रुकना पड़ा। मुखिया जी को हालत का पूरा इल्म था इसीलिए उन्होंने अपने दोनों बेटों को अपने से दूर ही रखा था। पर सायद उन सबको पास बुलाने का वक़्त आगया था।  hindi stories

उन्होंने अपने दोनों बेटो को फ़ोन करके बुला लिया। इसी दौरान जहाँ उनका रुकना हुआ था वहा एक आदमी दूर एक कोने पे बैठा मुखिया जी को घूरे जा रहा था। कुछ देर बाद वो  खुद अपने जगह से उठ के आया और मुखिया जी के पास बैठ  गया। आप जिससे मिलना चाहते हे वो कहाँ हे में जनता हूँ। ये कहकर वो आदमी दूर काली पाहाडी की और इशारा करता हे । मुखिया जी तुरंत उसके बातये हुए रास्ते पे निकल गए। कुछ दूर चलने के बाद एक जगह पे उन्हें कोई बैठा हुआ दिखाई दिया।  ये वही थे जिनके  मुखिया जी वहां गए थे। वहां वो योगी अपने तपस्या में लीन थे। पूरी रात उनके पास बैठने के बाद जब सुभे सुभे उनकी आंखे खुली तो उनके सामने मुखिया जी खड़े थे। मुखिया जी को देखते ही वो सब जान गए। वो आत्मा तुम्हारे ख़ानदान को मिटा देना चाहती हे। और उससे बचने का कोई भी उपाए नहीं हे। योगी की बात सुन कर मुखिया जी लगभग  टूट ही गए। अब तो उनकी आखरी  उम्मीद भी बेकार हो जाएगी। तवी अचानक वो बाबा मुखिया जी को बोले के एक उपाए हे पर उससे कर पाना बेहद मुश्किल हे। होसकता हे तुम्हारी  जान भी चली जाये। मुखिया जी हर सर्त  पर राजी थे। hindi stories

क्या थे वो सर्त ? आखिर उस प्रेत आत्मा को कैसे हराया जा सकता हे ? क्या होगा अगर मुखिया जी वो उपाए नहीं कर पाएंगे ? ऐसे अनगिनत सवालों के जबाब जानेगे कहानी के अगले और अंतिम भाग में। कहानी जारी हे।  hindi stories


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