गाड़ी के रुक जाने के बाद अर्जुन घूसे से बिकास को पूछता हे। ....
अबे तू ये बार बार गाड़ी क्यों रोक लेता हे ? काहाना गाड़ी साइड से लेले। .फिर गाडीको खड़ा करदेना का क्या मतलब?
बिकास बोला :- मेने नहीं रोका हे गाड़ी। गाड़ी इस बार अपने आप ही रुक गयी हे।
अचानक एक सनाटा पसर गया चारो ओर। गाड़ी से उतर ने की किसीकी भी हिमत नहीं हो रहीथी। अर्जुन ने हिमत करके गाड़ी से उतरने की कोसिस की। तब देखा की गाड़ी का टायर एक खड़े में फसा हुआ था। पर अजिब बात ये थी के इतने बड़े खड़े में फसने के वाबजुत कोई झटका महसूस नहीं हुआ था उन चरों को।
अर्जुन ने कहा :- अरे घबराने की कोई बात नहीं, गाड़ी में कुछ खराबी नहीं हे बस एक खड़ा हे सब मिल के उठालेंगे । पर अजब बात हे गाड़ी से कोई आवाज़ नहीं आरही थी। दो तीन बार बुलाने पर भी जब कुछ जवाब नहीं मिला तो अर्जुन ने घुसे से कहा अबे सालों सबको सांप सूंघ गया हे क्या ? ये कहते ही वो जैसे ही गाड़ी के आगे आया उसके सामने जो नजारा था उससे शब्दों में बयां नहीं किया जासकता। अर्जुन के सामने गाड़ी में कोई नहीं था। पूरा गाड़ी खाली पडाथा। .. .. अर्जुन को ये रात अब डरने लगी थी वो एक अंजनी खोप से सेहमने लगाथा। भुत प्रेत के कहानियों पे कभी यकीन न रखने वाला अर्जुन आज एक दम खामोश था। सर्द रातों में अकेले जंगल में होने का एहसास भी अपने आप में खउफनाक था। अर्जुन को चिंता थी उसके दोस्तों की। वो अपने दोस्तों को आवाज देने लग गया। पैर उसकी आवाज दूर तक जाने के बाद उस अँधेरे में गम हो जाती थी। गाड़ी को छोड़ बिकास अब उस जंगल की और बढ़ने लगता हे अपने दोस्तों को ढूंढ़ने। उसके पैर कुछ ही कदम बढे होंगे तभी पीछे से आवाज आयी। ......
काहाथा न इस रास्ते मत आना। ......
अर्जुन तुरन्त पीछे मुड़ा। उसके पीछे बिकाश दिलीप और कमल खड़े थे। उन्हें देख के अर्जुन के होस फाख्ता होगये। अर्जुन ने बिकास का हात पकड़के बोला तुम तीनो कहाँ चले गयेथे यार. फिर बिकाश ने जो काहा उसपे यकीं करपाना अर्जुन के बस की बात थी. बिकाश ने कहा :- अरे में दिलीप और कमल तो गाड़ी में बैठे थे।
पैर तू अचानक पागलों के तरा जंगल की और भाग क्यों राहाथा। इसीलिए हम तीनो को गाड़ी से उतर के तुझे रोकना पड़ा। अर्जुन ये सब सुनके थोड़ा सांसे भर रहता के उसकी नजर सामने गयी जहाँ पे गाड़ी राखी हुयी थी अब गाड़ी वहां थी ही नेही। अर्जुन गाड़ी की और भागा और जैसे ही पीछे मुड़ा वहां कोई नहीं था। था तो सिर्फ एक डर का एहसास। ..... अब न गाड़ी थी और न ही अर्जुन के दोस्त। पीछे जा पाना भी अब मुमकिन नहीं था। ठण्ड उससे मारदे इससे पहले वो वहांसे कहीं चले जाना चाहता था। अब अर्जुन को यकीं हो चला था। उसने लेफ्ट लेके कितनी बड़ी गलती करदि थी। उस सुनसान रास्ते में कुछ दूर चलने के बाद एक गाड़ी दिखी अर्जुन खुस होगया सोचने लगा के सायद ये उन्ही की गाड़ी हो। और थोड़ी दूर आने के बाद अर्जुन कन्फर्म होगया की ये गाड़ी उनकि हे। जैसे ही वो भाग के गाड़ी के पास पहंचा तो देखा की गाड़ी में बाकि तीनो की लाश पड़िथी। ...
कहानी का अंतिम भाग जल्दी आपके सामने होगा।
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बिकास बोला :- मेने नहीं रोका हे गाड़ी। गाड़ी इस बार अपने आप ही रुक गयी हे।
अचानक एक सनाटा पसर गया चारो ओर। गाड़ी से उतर ने की किसीकी भी हिमत नहीं हो रहीथी। अर्जुन ने हिमत करके गाड़ी से उतरने की कोसिस की। तब देखा की गाड़ी का टायर एक खड़े में फसा हुआ था। पर अजिब बात ये थी के इतने बड़े खड़े में फसने के वाबजुत कोई झटका महसूस नहीं हुआ था उन चरों को।
अर्जुन ने कहा :- अरे घबराने की कोई बात नहीं, गाड़ी में कुछ खराबी नहीं हे बस एक खड़ा हे सब मिल के उठालेंगे । पर अजब बात हे गाड़ी से कोई आवाज़ नहीं आरही थी। दो तीन बार बुलाने पर भी जब कुछ जवाब नहीं मिला तो अर्जुन ने घुसे से कहा अबे सालों सबको सांप सूंघ गया हे क्या ? ये कहते ही वो जैसे ही गाड़ी के आगे आया उसके सामने जो नजारा था उससे शब्दों में बयां नहीं किया जासकता। अर्जुन के सामने गाड़ी में कोई नहीं था। पूरा गाड़ी खाली पडाथा। .. .. अर्जुन को ये रात अब डरने लगी थी वो एक अंजनी खोप से सेहमने लगाथा। भुत प्रेत के कहानियों पे कभी यकीन न रखने वाला अर्जुन आज एक दम खामोश था। सर्द रातों में अकेले जंगल में होने का एहसास भी अपने आप में खउफनाक था। अर्जुन को चिंता थी उसके दोस्तों की। वो अपने दोस्तों को आवाज देने लग गया। पैर उसकी आवाज दूर तक जाने के बाद उस अँधेरे में गम हो जाती थी। गाड़ी को छोड़ बिकास अब उस जंगल की और बढ़ने लगता हे अपने दोस्तों को ढूंढ़ने। उसके पैर कुछ ही कदम बढे होंगे तभी पीछे से आवाज आयी। ......
काहाथा न इस रास्ते मत आना। ......
अर्जुन तुरन्त पीछे मुड़ा। उसके पीछे बिकाश दिलीप और कमल खड़े थे। उन्हें देख के अर्जुन के होस फाख्ता होगये। अर्जुन ने बिकास का हात पकड़के बोला तुम तीनो कहाँ चले गयेथे यार. फिर बिकाश ने जो काहा उसपे यकीं करपाना अर्जुन के बस की बात थी. बिकाश ने कहा :- अरे में दिलीप और कमल तो गाड़ी में बैठे थे।
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