प्यार भरी दो लब्ज़ों की हे दिल की काहानी -भाग 5 emotional love story in hindi
दरवाजे पे ध्रुब को देखते ही में सोचने लगी के, मेने जो आवाज़ सुनी थी अंदर क्या वो मेरा बेहेम था। पर ऐसा केसे हो सकता हे? अब ये फिरसे केसी सवालों की गुथी आके मेरे सामने खड़ी होगाई थी। गेहेरी होती हुई दोस्ती में फिर ये केसा भूचाल आगया। चंद घंटो के मुलाकात के बाद में ऐसे कैसे दावा कर सकती हूँ के कोई इंसान बिलकुल सच्चा और अच्छा होगा। कहीं में ध्रुब को पेहेचान ने में गलती तो नहीं रही ? या जो सब मेने अभी अभी सुना वो सब एक धोका था। ऐसे काईन अनगिनत सवालों से घिरा में जब अपने अंदर डूबा जा रहा था तब ध्रुब की आवाज़ आयी "अरे बानी तुम ?क्या कुछ काम हे ?" emotional love story in hindi
सवालों का जबाब में सवालों से नहीं देना चाहाती थी। मेने हस के जबाब दिया के " मेरे पास तुम्हारा रुमाल रह गया था। वही लौटने आयी थी। "मेने रुमाल लौटा ते वक़्त अंदर थोड़ा झाँकने की कोसिश की पर साफ साफ कुछ देख पाना मुमकिन नहीं हुआ। फिर ध्रुब को गुड नाईट बोलके में अपने फ्लैट में बापस आगयी।ध्रुब ने मुझे देख कर एक अछि स्माइल दी। मन में सवालों के ढेर लेके लोट आयी। मेरे पास अब दो ही रास्ते थे। या तो में ध्रुब के ऊपर भरोसा करलूं या फिर पूरी खोज बिन करूँ। अपने कस्मकस में मेने पेहेले वाले को चुना। सायद में कुछ ज्यादा ही रिएक्ट कर गयी थी। लोगों से पराया पन का एहसास लेते लेते अपनों को ही गलत समझने लग गयी थी। खेर जो भी हो में अब धीरे धीरे ध्रुब के सादगी की और ढलने लगीथी। अच्छा लगने लगा था वो। दिन भर की थकाबट दूर होगयी उसकी स्माइल देख के। जी हाँ प्यार करने लगी थी में ध्रुब से। प्यार क्या हे कैसा हे इसके ऊपर कोई आईडिया नहीं था। फिर भी प्यार का परिक्षया देने के लिए तैयार हो गयी थी में। समये बीतता चला गया, और देखते ही देखते 6 महीने गुजर गए। emotional love story in hindi
"6 महीने बाद "
बानी तुम्हारे लिए कोई एक लेटर आया हे। ये कह कर उन्होंने मुझे एक लेटर थमा दिया। अजीब बात हे , इस इंटरनेट के ज़माने में लेटर कोन लिखता हे। लेटर सील था खोला तो देखा के उसमे लिखा था की तुम्हारी जो भी ख्वाइश थी वो जरूर पूरी होगी। मुझे लगा सायद पिछली बार जब में और ध्रुब मिलथे तब मेने अपनी कुछ छोटी छोटी ख्वाइशें जाहिर की थी सायद ये साहब उसी बात का जबाब आज लेटर भेज के दे रहें हे। चिठ्ठी पढ़ के मुझे बहोत ही ज्यादा खुसी मिली। पर एक अजीब बात थी उस चिठ्ठी में। उसमे ध्रुब का एड्रेस तो था पैर ध्रुब का नाम नहीं था। खेर मुझे तो अपने सपनो के दुनिया में घर भी मिल गयी थी। पर आने वाले कल को देख पाना इंसान के बस में कहां ? emotional love story in hindi
में अपने आने वाले सपनो के साथ एक अलग ही दुनिया में थी। घरसे अये हुए मेहज दो दिन हुए थे। तभी ध्रुब का फ़ोन आया। तो मैंने लेटर के वारे मे पूछ ही लिया। पर अजीब बात थी ध्रुब ने साफ साफ मना करदिया के कोई भी लेटर मुझे नहीं भेजा हे। तो फिर ये लेटर किसने भेजा होगा ? मैंने तिथि से भी बात की पर उसने भी मना करदिया। अजिब बात हे किसी ने भी इस लेटर को नहीं भेजा। पर उस वक़्त में अपने सादी वाले माहौल को ख़राब करना नहीं चाहती थी। चाँद दिन ही बाकि रह गए थे मेरे सादी को। माँ और पिताजी का रोज फोन आता था के घर कब आना हे। में वाकई में खुस थी। देखते ही देखते मेरे घर जाने का टिकट भी बुक होगया अगले दिन मेरी ट्रैन थी। में सोने ही जा रही थी के तभी अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी एक नए नंबर से कॉल आया।
हेलो कौन ? .........
emotional love story in hindi
काहानी का अगला और अंतिम भाग जल्द ही आपके सामने होगा।
काहानी का अगला भाग पढ़े निचे दिए गए "NEXT" बटन पर क्लिक करके पढ़े emotional love story in hindi
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें