तो कौन हे लूसिफर ? एक दानव या एक देवता !
तो दोस्तो जैसा की आप सबको पता होगा की इस दुनिया में इंसान और बुरी आत्माएं दिनों ही बास करती है। क्यों के अंधेरा होने पर ही रोशनी की जरूरत होती है। और कुछ बुरी सक्ती हमेशा रोशनी को मिटाने के चक्कर में होती है। तो में आप सबको आज ये बताऊंगा के कैसे एक रोशनी के दूत ने अंधेरे का साथ दिया और बन गया अधेरा का सबसे ताकतवर शहंशह। हम बात करेंगे लूसिफर के बारेमे। लूसिफर का जन्म स्वर्ग में हुआ था। खुद ईश्वर ने लुसीफेर को स्वर्ग लोक का सबसे कीमती पद प्रदान किया। देखते ही देखते वो स्वर्ग लोक का सबसे ताकतवर देवदूत बन गया। लुसिफर शब्द का अर्थ है सुबह का तारा। वो सभी देवदूतों मेसे अधिक ज्ञानी था। एक समय पे तो वो इस्वर का सबसे प्रिय देवदूत बन गया था। वो हर विषय पर अपना मंतव्य जरूर देता था ? हर एक उसकी बातों को सुनकर ये मानने लगे थे कि वह उन सब में से सबसे ज्ञानी है। सभी उसकी पूजा करने लगे।और उसे ईश्वर के समान मानने लगे। फिर इसी बात से लूसिफ़ेर में धीरे धीरे घमंड बढ़ने लगा। वो खुद को सबसे बड़ा मानने लगा। फिर भगवान ने जब जीसस को बनाया तो लुसिफर इसे देखकर हैरान था कि धीरे-धीरे कैसे सारे देवदूत जिसस के प्रति आकर्षित हुए जा रहे थे। बस यही बात उसे बैचैन करने लगी। और वह धीरे-धीरे अपना गुस्सा जाहिर करने लगा। एक बार ईश्वर ने जीसस के साथ स्वर्ग में किसी एक विषय पर चर्चा का आयोजन किया और उस चर्चा में सारे देव दुतो को निमंत्रण भेजा। लेकिन लुसिफर के आचरण के चलते ईश्वर ने लुसिफर को इस चर्चा में शामिल होने का निमंत्रण नहीं भेजा। इसके चलते लुसिफर बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया। और ईश्वर से बगावत करने तक उतर आया। उसने ईश्वर के खिलाफ एक सम्मेलन का आयोजिन किया। उसके अपार शक्तियों के वजह से स्वर्ग लोगों के कई सारे देवदूत उसके आकर्षण में आकर सम्मोहन के शिकार हो गए। और उन सभी ने ईश्वर के बदले लुसिफर का साथ देना सही समझा। इसके चलते धीरे-धीरे स्वर्ग के एक तिहाई सदस्य लुसिफर के साथ हो गए। जब ईश्वर को इस बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत ही लुसिफर को अपने पद से निष्कासित करते हुए उसे स्वर्ग से बाहर करने का फैसला लिया। और इसी के चलते लुसिफर और ईश्वर के बीच एक अनंत युद्ध की शुरुआत हो गई। लुसिफर जाते-जाते ईश्वर को यह चेतावनी देता गया कि वह ईश्वर के समस्त रचना को तब तक नष्ट करता रहेगा जब तक कि उनकी सारी रचना नष्ट ना हो जाए। ईश्वर ने लुसिफर के साथ-साथ उन सारे दोस्तों को भी स्वर्ग से निष्कासित कर दिया जिन्होंने लूसीफर का साथ देने का फैसला किया था। स्वर्ग से निकाले जाने पर लुसिफर ने तुरंत ही नर्क का यात्रा क्या। वहां उसने पापी आत्माओं को दंड भुगतते हुए देखा। और वहीं से उसने अपनी यात्रा की शुरुआत की। उस ने शपथ ली के वह ईश्वर के द्वारा रची गई अच्छी रूह को भी अपने शक्ति के बस में कर उनसे पाप करवा कर सभी को नर्क में कैद कर लेगा। हालांकि लुसिफर को कई लोग अच्छा भी बताते रहे हैं । लु सीफर के पास दो सफेद पंखे है।
जो देखने में देवदूत के समान है। क्योंकि लुसीफर पहले से ही एक देवदूत और ईश्वर का संतान हुआ करता था। वो हमेशा लोगों से बुरा काम नहीं करता है। वो लोगों को सम्मोहन करता है।लेकिन यह आखिरकार उस इंसान पर ही निर्भर करता है कि वह किस हद तक पाप करने को तत्पर है। लुसिफर को पाप का देवता भी माना गया है। क्योंकि लूसिफ़ेर अपनी शक्तियों से लोगों को सात प्रकार के पाप करवाने में समर्थ है। लूसीफर में एक अलग ही आकर्षण होता है। जिसे वह आम इंसान को अपने बस में तुरंत ही कर लेता है। लुसिफर नर्क के 8 राजाओं जितनी शक्तिशाली भी है। उसके पास नर्क के 8 राजाओं की शक्ति जोड़कर जितनी शक्ति होती है उतनी है। लुसिफर लोगों से जो पाप करवाता है उन्हें करवाने के लिए उसने अपने सात सेनापति को नियुक्त किया है। जो कि अपना काम बहुत ही अच्छेसे करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ईश्वर को प्रिय होने के कारण ईश्वर ने आज तक उसके गलतियों को माफ करते आएं है। पर अगर लूसिफ़ेर नहीं सुधरा तो ईश्वर उसे आखिर में दंड जरूर देंगे। अब इस बात में कितनी सच्चाई है क्या सच है क्या कहानी है इसे जान पाना तो संभव नहीं लेकिन मेरा यह जरूर मानना है कि अगर भगवान होते हैं तो उनके समान है शैतान जरूर होते हैं।
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