क्या हो अगर धरती का सारा पानी एक साथ सुख जाये तो?

 क्या हो अगर धरती का सारा पानी एक साथ सुख जाये तो? 

क्या हो अगर धरती का सारा पानी एक साथ सुख जाये तो?




क्या आपने कभी सोचा हे अगर हमारे धरती से सारा पानी जो नदी, झरने, सागर और तालाब में हे वह गायब हो जाए तो हमारे ऊपर क्या असर होगा? क्या मानव सभ्यता बिना पानी के जीवित रह पाएगी। और क्या हो अगर कल के कल हमारे पृथ्वी के सारे महासागर और सागर में से पानी सूख जाए। बड़ी विचित्र लगने वाली यह बातें अगर कभी सच हुई तो क्या होगा ?

दोस्तों जैसे कि हम सबको पता है कि हमारी धरती की तीन-चौथाई हिस्सा जल और सिर्फ 1 भाग स्थल होता है । यानी कि सारा का सारा जो स्थल जीवन है वह सिर्फ एक भाग है । उसी तरह अगर पूरे पानी को शो फ़ीसदी पकड़ा जाए तो सागर और महासागर के पानी की तादात 97 फ़ीसदी होती है। ऐसे में अगर सारा सागर और महासागर का पानी सूख जाता है तो जाहिर सी बात है कि हमारे धरती पर अचानक से एक बड़ी संकट आ पड़ेगी।

तो चलिए जानते हैं क्या क्या होगा अगर  सारा पानी एक दिन सूख जाता है। वैसे तो यह बातें सिर्फ कल्पना में ही सत्य लग सकती है कि पृथ्वी का सारा पानी सूख जाए लेकिन अगर ऐसा बकेयी में हो तब भी ऐसा होते होते करोड़ों साल बीत जायेगा । वैज्ञानिकों का मानना है कि इस धरती पर पहले जीवन की रचना जल में ही हुई थी।  ऐसे में अगर सारा पानी  सूख जाता है तो पहली बड़ी आफत हमारे वायुमंडल पर गिरेगा। 

सागर और महासागर पृथ्वी के जलवायु को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में अगर पानी सूख जाता है तो जलवायु अनियंत्रित हो जाएगा। ऋतू चक्र बिगड़ जाएगी जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी।  हालात यह हो जाएंगे कि विश्व का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान में धीरे-धीरे परिवर्तित हो जाएगा। 

जाहिर सी बात है पानी खत्म हो जाएगा तो पहले हमारे पानी में रहने वाले जीव मर जाएंगे। सागर और महासागर का पानी सूखने के बाद 3 फीसदी जो हमारी झील और नदी आदि में बचे हुए होते हैं वह बाकि 97 फ़ीसदी पानी की कमी को नहीं भर सकेंगे। और धीरे-धीरे वह भी सूखने लगेंगे। 

 पानी के सूखने के बाद सूरज की रोशनी में जबरदस्त इजाफा होगा और हमारी धरती तब तक तपती रहेगी जब तक कि सारा का सारा हिस्सा रेगिस्तान में परिवर्तित नहीं हो जाता। पानी ना होने की वजह से तापमान में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। और सारे के सारे पेड़ पौधे सूखने लगेंगे। 

पेड़ पौधे सूखने के बजे से कई जीव खाने की कमी के वजेसे से धीरे धीरे मरने लगेंगे। इसके बाद एक भीषण भुकमरी का दौर शुरू हो सकता है।  भुखमरी और महामारी के कारण अब इंसानी बस्ती भी प्रभावित होना शुरू कर देंगे। अपने रोज़ मर्रा के जरूरतों को भी पूरा करपाना मुश्किल होता जायेगा। 

 पानी के अभाव में धीरे-धीरे इंसानी प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर आजायेगी, फिर पानी के नाम पर सुरु होगी एक भयंकर बिस्वा युद्ध। ताकतबर मुल्क छोटे छोटे मुल्क पर कब्ज़ा करेंगे पर ये जंग निसानी बस्ती का नमो निसान मिटा के रख देगा। 

क्या पता कभी हमारी ग्रह को दूसरे ग्रह के जीव यह देखने के लिए आये की पहले हमारी धरती पर जीबन कैसे हुआ करती थी। जैसे आज हम दूसरे ग्रहो के वारेमे जानने के लिए जाते हे। 

सूरज  की गर्मी बढ़ने के कारण पृथ्वी पर कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जेहरीले गैस बढ़ जायेंगे। पेड़ ना होने के वजेसे ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर हो जायेगा। यहां तक कि ओजोन लेयर भी नष्ट हो जाएगा। ओजोन लेयर के नष्ट होने के साथ ही हमारी पृथ्वी पर जीवन की जो आखिरी उम्मीद होगी वह भी खत्म हो जाएगी। 

शायद इसीलिए जल को जीवन कहा जाता है। क्योंकि जल के बिना धरती पर जीवन कभी भी संभव ही नहीं हो पाता। तो दस्तो ये थी आज की हमारी पारी कल्पना आपको कैसा लगा जरूर बताइये। धन्य बाद। 

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