Horrorstories के इस भाग में जानेगे एक ऐसी घटना के बारेमे जिससे पूरा का पूरा गाऊँ तबाह होगया।
आत्मा अपने बदले के चकर में इधर उधर घूम रहीथी। कैसे भी करके मुखिया जी का कबच हटे और वो अपना इन्तेक़ाम ले सके। उधर मुखिया जी के बुलाने पर उनके दोनों बेटे अपने अपने परिबार के साथ हवेली में आ पहंचे। बड़े बेटे की एक बेटी और छोटे बेटे की दो बेटे थे। मुखिया जी ने उन्हें गाऊँ बुलाने का कारण नेहीं बताया था। मुखिया जी को हवेली में न पाकर दोनों बेटे लॉन में बैठे बैठे उनका इंतजार करने लगे। कुछ देर बाद मुखिया जी किसी से बात करते हुए अंदर के और आये। तभी उनकी नजर उनके पुरे ख़ानदान पे पड़ी। बेटे ,बहू और पोते पोती सब उनके आँखों के सामने थे। पर उनके चहरे पे खुसी की एक झलक तक नहीं थी। क्यों के उन्हें पता था के वो बुरी प्रेत आत्मा कभी भी उनके परिबार पर हमला कर सकती हे। अपने पिता को इतने तनाब में देख बड़े बेटे ने इसका कारण पुछा। मुखिया जी जान गए थे के अब सचाई छुपाने से किसीका भी भला नहीं होने वाला। पर उनको सिर्फ एक ही बात का दर सत्ता रहा था। क्या सेहर में पढ़े लिखे उनके बेटे और बहु इस बात को मानेगे या फिर न चाहते हुए भी उनका मजाक बन जायेगा ? इसी सोच बिचार के चलते हुए उन्हों ने सचाई सब को बता दिया। rdhindistories
बचपन से दूर रखा आपने हमे पिताजी। ना चाहते हुए भी हम आपसे दूर रहे। इतने बड़े मुसीबत अपने पुरे जिंदगी अकेले किया। क्या आज हमे अपने बेटे होने का फ़र्ज़ अदा करने का एक मौका मिलसकता हे पिता जी? अपने छोटे बेटे के मुँह से ये सब सुन के मुखिया जी के आँखों में आंसू आगये। कहते हैं पिता की असली ताकत उसके बचो में होती हे। पर आपने हमे अपना ताकत क्यों नहीं बनने नहीं दिया पिताजी ? बड़े बेटे के इस सवाल का मुखिया जी के पास कोई जबाब नहीं था। आज पूरा परिबार आपके साथ हे पिता जी। हम दोनों बहु नहीं आपके बेटी हे। कमसे कम आप हमे ये सब बता सकते थे पिता जी ? भले ही हम सेहरी रिवाज़ में पले बड़े हे पर बड़ो की बात सुनना ये भी हमारे रिवाज़ में हे। अपने दोनो बहुओं से ऐसा साथ पाकर मुखिया जी के दिल को बहत सुकून मिला। मुझे माफ़ करदो मेरे बचो, न चाहा ते हुए भी मुझे तुम सब को इस मुसीबत से दूर रखने के लिए झूट का सहारा लेना पड़ा। लेकिन आखिर कार तुम सबने मिलके मेरे दिल का बोझ हल्का करदिया। rdhindistories
तो वो आत्मा अब कहाँ हे ? बड़े बेटे ने मुखिया से पुछा ? rdhindistories
वो कहाँ हे ये कोई नहीं जनता पर इतना मालूम हे के वो आज रात तुम सबको हानि पहंचाने जरूर आएगी। पर डरने की बात नहीं हे। मेरे होते हुए तुम सब को कुछ नहीं होगा। मुखिया जी ने तुरंत ही जो पबित्र धागा लाये थे सबके हात में बांध दिया। बाबा ने कहा धागे को भी अपनी अलग नहीं करेगा। आज रात वो तपस्वी हमारे घर आएंगे माहा काल यज्ञं करने हेतु। तुम उस यज्ञं में हिसा लोगे। जब यज्ञं चल रहा होगा वो आत्मा बहलाएगी फुसलायेगी और भड़कायेगी। पर हमे यज्ञं ख़तम होते तक उठना नहीं हे। ये यज्ञं किसी भी हाल में पूरा होना चाहिए। में खुद इस यज्ञं में बैठूंगा। हमे सारा ध्यान यज्ञं पे ही रखना होगा। गाऊँ वालों को सख्त निर्देश थे सूरज ढलते ही अपने घर से बाहर न निकले। दोपहर करीब पौने 3 के आस्स पास वो तपस्वी मुखिया जी के पास पहंचे और यज्ञं सुरु करने लगे। तये समय समये के आस पास सारी तैयारी हो गयी। गाऊँ में अँधेरा छाते ही सब अपने अपने घरों में छिप गए। आज जो भी उस भटकती हुई रुह के सामने आएगा वो जिन्दा नहीं बच पायेगा। मुखिया जी के कुल पुरोहित ने माहा काल के त्रिसूल को बनाने के लिए पबीत्र आत्माओ का आवाहन करने लगे। पूजा की बिधि सुरु हो चुकी थी। वो तपस्वी ने मेहेल के चारों और पबित्र जल का छिड़काब किया था ताकि वो आत्मा मेहेल के अंदर न आसके। पर जल्द वाजी में उनसे मेहेल का पीछे वाले दरवाजे के और ध्यान ही नहीं गया। और बद किस्मती से वो दरवाजा खुला भी रेह गया था। जैसे जैसे पूजा की बिधि पूरी होने लगी सब के मन में खुसी होने लगी। पुरोहित जी ने माहा काल त्रिसूल भी बनवा लिया। पूजा की समाप्ति होने पर सब खुस थे। पर मुखिया जी क आशर्य हुआ के वो आत्मा ने एक बार भी हुम्ला करने की कोसिस तक नहीं की। परिबार की सारे सदस्य बहत खुस थे। इसी बिच बड़ी बहु मिठाई लेने अपने कमरे में गयी। क्यों के उसने मिठाई का डिब्बा अपने कमरे में ही रख आयी थी। मुखिया जी के काफी सवाल तो थे पर आखिर कार उन्होंने भी अपने दिल को समझा लिया। तपस्वी बाबा भी पूजा पूरी होने के खुसी में वापस चले गए थे। पूजा सन्ति पुर्बक सम्पर्ण हुआ। देखते देखते ही गाऊँ में ये खबर फेल गयी। एक अजीबसी सन्ति छा गयी थी। मानो तूफान के पेहेले के जैसी सन्ति हो। खेर अब सब ठिक होगया था। इसी खुसी में मुखिया जी ने आसमान के और देख कर अपने पूर्बजों को नमन किया। फिर वो मुड़े ही थे घर के अंदर आने के लिए तभी उनकी नजर पिछले दरवाजे पे गयी जो की खुला हुआ था। दरवाजा खुला था ये परेशान की बात नहीं थी परेशान की बात ये थी के उस दरवाजे से किसी के अंदर अनेके पैरों के निसान थे। उन्हें समझ ने में ज्यादा देर नहीं हुई के जिसका डर था वही हुआ हे। वो घर के अंदर आ चुकी थी। rdhindistories
कोई किधर नहीं जायेगा। सब लोग एक साथ रहो मुखिया जी चीलाते हुए बोले। क्या हुआ पिताजी ? अब घबराने की कोई जरुरत नहीं हे। वो आत्मा अब हमारा कुछ नहीं कर सकती। बड़े बेटे ने हस्ते हुए कहा। ये क्या ? वो पबित्र धागा क्यों निकाल दिया ? जरासल पिताजी ये धागा चुभ रहा था तो हमने सोचा के अगर अब पूजा ख़तम हो गयी हे तो हम निकाल देते हैं। अरे चुप करो सब मुखिया जी ने चीलाते हुए कहा। बड़ी बहु कहाँ हे ? वो तो ऊपर अपने कमरे में गयी हे। मुखिया जी तुरंत ऊपर की और भागे। बाकि सब भी उनके पिछे पिछे भागे। ऊपर पहंच के उन्हने देखा के उनकी बड़ी बहु खिड़की के पास खड़ी हे। खिड़की खुल हुई थी। बहु ? बहु ? काईन बार आवाज लगाने पर भी बहु ने जब कुछ जबाब नहीं दिया तो बेटे ने जैसे ही पास जाके बुलाया तो बडा सा खंजर उसके सिने से आर पार होते हुए उसकी छाती के दो कुकड़े कर डाल ती हे। देखते ही देखते वो आत्मा मुखिया जी के बड़े बेटे को मार डालती हे। कुछ देर के लिए तो कुछ समझ में नहीं आता। पर हातों में खंजर लिए जब वो आत्मा अँधेरे मेसे रोशनी की और आयी तब जाके सबने उसके काले चेहरे को देखा। आंखोसे खून टपक राहा था उसके। rdhindistories
तुम सब ने क्या सोचा था में चली गयी। आज होगा खूनी खेल। में मेरे मन के आग को सांत करुँगी आज। उसके सफ़ेद आंखोसे मिकलती हुयी खून उससे और भी भयानक रूप दे रहीथी। अपने आँखों के सामने अपने बड़े बेटे को मरते हुए देख मुखिया जी के दिल ने धड़कना लगभग बंद कर दिया था। तू मरेगा मुखिया। में तुझे तड़पा तड़पा के मरूंगी। ये केहने के साथ ही वो आत्मा मुखिया को मरने के लिए खंजर लेके आगे बढ़ती हे। तभी अपने पिता को बचाने के लिए मुखिया जी का छोटा बेटा उनके सामने आजाता हे। अगले ही पल उसकी कटी हुई सर जमीं पर गिरी मिलती हे। मुखिया जी के सामने उनका परिबार ख़तम हो रहा था और वो कुछ भी नेही कर पा रहे थे। तभी उनके कुल पुरहित वहाँ से सबको निकालते हुए निचे की और भागे। पर वो घरसे निकल पाते इससे पेहेले माहा काल की वो त्रिसूल पुरोहित के छाती को चीरता हुआ आर पार निकल जाता हे। पुरोहित वहीँ मर जाते हैं। ये त्रिसूल तो अभीमन्त्रित थी, तो फिर इस त्रिसूल को उस प्रेत आत्मा ने उठाया कैसे ? पर ये वक़्त सवालों का नहीं था। वो किसी भी हाल में घर से निकल जातें हे। अपने छोटी बहु और तीन बचो के साथ वो उन तपस्वी बाबा के आश्रम के और निकल पड़ते हे। सिर्फ वही थे जो उनको बचा सकते थे। करीब दो घंटे के बाद वो बाबा के आश्रम में पहंच ते हैं। उनकी ऐसी हालत देख कर बाबा को भी समझ आजाता हे के क्या अनर्थ हो गया हे। मुखिया जी बाबा से पूछतें हे के वो त्रिसूल जिससे उस आत्मा ने कुल पुरोहित को मार डाला ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता हे। rdhindistories
वो आत्मा पूजा बिधि से पहले ही घर में घुस चुकी थी। इसीलिए पूजा सफल नहीं हो पाया। और अब दुबारा यज्ञं भी नहीं किया जा सकता। तो अब एक ही रस्ता बचा था। मुखिया जी को वापस जंगल में जाके उस त्रिसूल को वापस उस आत्मा के कब्र पर रखना होगा। वो भी सूर्य उदय होनेसे पेहेले। पर इसमें उनकी जान का खतरा भी था। पर यूँ खड़े खड़े अपने परिबार को मरते हुए देखना उससे अच्छा तो ये होगा के वो खुद ही उस आत्मा को मार दे। वो तुरंत अपने गाड़ी लेके जंगल की और निकल गए। उसके कब्र पर पहंच के देख तो पाया के वो त्रिसूल वहां नहीं था। कुछ देर ढूंढ़ने पर उनकी नजर कालिया के लास के ऊपर गिरी। जरासल कालिया उस प्रेत आत्मा से बदला लेने आया था पर खुद मारा गया। उसके लास के थोड़े ही आगे वो त्रिसूल गिरा था। पर वो उस त्रिसूल के पास पहंच पाते वो आत्मा वहाँ आगयी। मुखिया जी के सामने खड़ी होगयी। पर जैसे ही उसने मुखिया जी को मरना चाहा तो मुखिया जीके गले में पड़ा वो कबच मुखिया जी को बचा ले गया। इसका फ़ायदा लेते हुए मुखिया जी त्रिसूल उठाने भागे। पर तभी अचानक उनके बड़ी बहु पिछेसे छिलने लगी " पिता जी मुझे इससे बचालो " मुखिया एक पल के लिए रुक जाते हैं। उनके बड़े बहु के गले पर खंजर ताने वो प्रेत आत्मा खड़ी हुई नजर अति हे। मुखिया जी रुक जातें हे। rdhindistories
तुम्हे क्या चाहिए ? मुखिया जी पूछतें हे। मुझे तुम्हारी जान चाहिए। वो कबच निचे रखदो। अगर तुम वो कबच निचे रखदोगे तो में तुम्हारे बड़ी बहु को जाने दूंगी। मुखिया जी उसकी बातों पे राजी हो जाते हैं। और उनके कबच को उतार के निचे रख देतें हे। जैसे ही मुखिया जी ने अपना कबच उतारा , आत्मा ने उसी खंजर से बड़े बहु के सर को धड़ से अलग कर दिया । मुखिया जी का आधा ख़ानदान मर चूका हे। ये सोचते ही मुखिया जी का सीना फट पड़ा। उन्होंने उस प्रेत आत्मा से कहा " एक नासमझ इंसान ने तुम्हारे साथ बुरा किया। बदले में तुमने काईन मासूमों को मर डाला। "ये इन्तेक़ाम तुम्हे मुक्ति नहीं दे सकती। इन्तेक़ाम से आज तक किसीको भी मुक्ति नेही मिली। इतना कहते कहते मुखिया जी ने वो त्रिसूल उठाया और उस आत्मा के सीने में गाड़ दिया। वो आत्मा चीख उठी और दर्द से छिलाने लगी। इसके पहले वो आत्मा गायब हो जाये उन्होंने उसी त्रिसूल से ही उसके कब्र पे उस त्रिसूल को गाड दिया। कुछ समय बाद वो तपस्वी बाबा भी वहां आगये। उन्हने मुखिया जी से काहा के ये आत्मा की मुक्ति अब मुमकिन नहीं इसे हमे कैद करना होगा।हमेसा के लिए। तभी मुखिया जी ने इनकार करते हुए उस आत्मा के करीब गए। वो आत्मा दर्द से घुराह रही थी। rdhindistories
मुझे नहीं पता के मेरे दादा जी ने तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया। सायद तुम्हारे साथ जो हुआ वो गलत हुआ। तुमने दादा जी को मार डाला। जान के बदले जान ले लिया तुमने। पर आज तुमने मेरे दोनों बेटों को मार दिया बड़ी बहु को मारडाला। में तो वैसे भी मरा हुआ हूँ। 70 साल के उम्र में अपने दोनों बेटों को खो चूका हूँ। ये जंग को खत्म करदो। मुझे मारकर तुम्हे सुकून मिले तो मुझे मार डालो, मेरे 3 बचो को मार के अगर तुम्हे मुक्ति मिल सके तो मार दो हम सब को। तुम खुद भी आजाद हो जाओ। ये कह कर मुखिया ने आत्मा के सरीर से त्रिसूल निकाल के दूर रख दिया। और छोटी बहु और 3 पोता पोतीओं के साथ उसके सामने आंखे बंद करके बैठ गए। कुछ देर में सुबह भी हो गयी। जब आंखे खुली तो वो आत्मा वहां से गायब थी। सायद उसे भी समझ आगया था के माफ़ी, बदले से ज्यादा कीमती होती हे। किसीना किसीको तो माफ़ करना ही पड़ता हे। ताकि जिंदगी दुबारा पनप सके । इस हादसे के बाद सबने उस गाऊँ को छोड़ दिया। मुखिया जी अपने परिबार के साथ सेहर चले गए। केहतें हे आज भी वो आत्मा उस जंगल में भटकती हे। पर कभी किसी के मरने की खबर नहीं आयी। rdhindistories
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