भानगढ़ एक ऐसी भूतिया जगह हे जिसका जिक्र बहुत सारी किताबों में हुआ है। पर असल मायने में क्या हकीकत है यह जान पाना बहुत ही मुश्किल है। कहते हैं कई सारे अतृप्त आत्मा है भानगढ़ के किले में जो रात को निकलती तो है पर कोई नहीं जानता कि सुबह होते ही वह कहां गायब हो जाते हैं। पर वहां पर रह रहे लोगों का अक्सर यह मानना है कि रात होते ही अजीब अजीब सी घटनाएं घटने की आहट सुनाई देती है उनको। यूं तो भानगढ़ में हजारों ऐसे किस्से आपको मिल जाएंगे जिन पर यकीन कर पाना वाकई में मुश्किल है । उन सब में से एक घटना मै आजआपको बताने जा रहा हूं।
धवन नाम का एक लड़का अपने कॉलेज के कैरियर से ही फिल्मों में अपना स्क्रिप्ट देने के लिए बहुत उत्साहित था। वह अक्सर भूतों के ऊपर कहानियां लिखा करता था। उसने बहुत सारे जगह पर इंटरव्यू दिया। तभी उसकी मुलाकात एक डायरेक्टर से हुई जिसने उसे भानगढ़ के ऊपर एक शॉर्ट फिल्म स्टोरी लिखने को कहा । उन्होंने धवन को भानगढ़ जाने को कहा और वहां कुछ दिन रेहेके इस विषय पर काम करने को कहा ।
अगले दिन सुबह ही धवन अपने चार दोस्तों के साथ एक टीम बनाकर भानगढ़ के लिए निकल पड़ा। वहां पहुंचने के बाद वह अपनी स्क्रिप्ट को लेकर काम करना शुरू कर देता है। वहां पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों से उसे ऐसी कई सारी कहानियों के बारे में पता चलता है जिसमें भूतिया बातों का जिक्र हुआ हो। अपने काम को लेकर धवन इतना सीरियस था कि उसने सोच लिया था कि वह इस साल का सबसे बढ़िया भूतिया डॉक्यूमेंट्री बनाएगा। इसके लिए बो भानगढ़ में एक रात गुजारना चाहता था। उसने अपने सारे दोस्तों को मना लिया और वहां जाने की तैयारी करने लगा। लेकिन वहां शाम ढलने के बाद भानगढ़ के अंदर जाना नामुमकिन था। उन्होंने कुछ पैसे देकर भानगढ़ के एक कर्मचारी को मना लिया और अपना सारा सामान लेकर भानगढ़ में छुप गए। जैसे ही भानगढ़ बंद हुआ वह अपने काम में लग गए। सर्दी के महीने में भानगढ़ का सन्नाटा किसी भी इंसान को अंदर से हिला डालने की ताकत रखती थी। धवन के साथ प्रीति, अर्जुन और विवेक थे जो उसके साथी थे। प्रीति तो उसकी मंगेतर थी।
जैसे जैसे रात बढ़ता गया भानगढ़ का सन्नाटा और शोर करने लगा। मनो जैसे खामोशी अपने आप में चिल्ला चिल्ला कर यह कह रही है कि निकल जाओ यहां से। धवन ज्यादा देर ना करते हुए अपना काम शुरू कर देता है। अपने साथ लेकर के सारे कैमरों को अलग-अलग जगह पर फिक्स कर देता है। अब वो सब एक जगह बैठ कर कुछ होने का इंतजार करते हैं। करीब 3 घंटे बीत जाने के बाद करीब रात के 10:45 बजे एक शोर सुनाई देता है। इतनी रात को कौन चिल्ला सकता है ? और वो भी किले के अंदर ? यह सवाल सबके मन में था लेकिन आवाज सबको बराबर सुनाई दे रही थी। सबने अपने कैमरा उठाए और जहां से शोर आरहा था उस दिशा में चल पड़े। वो सब कुछ ही क़दम आगे बढ़े ही थे कि उनके सामने एक औरत भागते हुए रोते हुए आ रही थी। और सीधा इन्हीं चारों के सामने एके रुक गयी। धवन और उनके साथियों को इस बात का यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि कोई और उनके सामने उनकी ओर भागते हुए आ रही है। कुछ ही देर के अंदर बो औरत इनके पास आकर खड़ी हो गई। वह काफी ज्यादा परेशान दिख रही थी उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे
प्लीज मेरे पति को बचा लीजिए प्लीज कुछ कीजिए वरना वो भूतनी इन्हें मार डालेगी। प्लीज मेरी मदद करो। धवन और उनके साथियों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उनके अलावा किले में और कोई नहीं था। तो फिर ये औरत कहां से आई। यह कोई चुड़ैल या फिर प्रेतात्मा तो नहीं ! इसके बारे में सुबह गांव वाले धवन को बता रहे थे। गांव वालों ने धवन को कहा था कि कीले में ऐसे कई सारी प्रेत आत्मा है जो अनजान लोगों को परेशान करने के लिए किसी का भी रूप लेकर उनके सामने आ जाते हैं। और देखते ही देखते उन्हें मार डालते हैं। धवन ने पूरी सावधानी से उस औरत से पूछा
कौन हो तुम ? और इतनी अंधेरी रात में अकेले ही इस कीले में क्या कर रही हो? पहले तुम यह बताओ कि तुम कीले के अंदर कैसे अयी ? इस पर प्रीति धवन की ओर देखकर यहां से निकलने को कहती है। पर वो औरत धवन के पैर पड़ जाती है। प्लीज मेरे पति को बचालो वो आत्माओं के चंगुल में फंस गए हैं। अगर हम वहां पर नहीं पहुंचे तो बो सब उन्हें मार डालेंगे। धवन को उस औरत की बात पर यकीन आ गया। उसने प्रीति को समझाकर उस औरत की मदद करने के लिए मना लिया। धवन को इसमें अपना ही फायदा नजर आ रहा था।वह इस औरत का इस्तेमाल अपने डॉक्यूमेंट्री पर करना चाहता था। पर अब सवाल यह था कि उसके पति को ढूंढे कहां ?
इसीलिए धवन ने प्रीति और अर्जुन को उस औरत के साथ किले की बाएं और भेजो। और खुद विवेक के साथ दाएं और गया । कुछ देर चलने के बाद धवन को एक आदमी दिखा जो एक कोने में छुप कर बैठा हुआ नजर आया। धवन को लगा कि शायद यह वही आदमी है जो आत्माओं के चंगुल में फंस गया था। उनसे बचने के लिए अब वह यहां आकर छुप कर बैठ गया है। धवन तुरंत ही उसके पास जाता है और उसे सारी बातें पूछता है। वो आदमी जैसे ही धवन और विवेक को देखा तो बोल पड़ा
प्लीज मुझे बचा लो या आत्माएं मुझे मार डालेंगे मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। जो मैं रात को यहां पर रुका। मुझे मेरी बीवी की बात नहीं माननी चाहिए थी लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है प्लीज मुझे यहां से निकाल दीजिए। में यहांसे निकलने का और एक रास्ता जनता हूँ। यह सब बोलते बोलते उस आदमी की आंखों से आंसू गिरने लगे।
तुम्हें कुछ नहीं होगा हमने तुम्हें ढूंढ लिया है अब हम तुम्हें तुम्हारे पत्नी के पास ले चलेंगे।
पत्नी !
वह तो मर चुकी है। आत्माओं ने मेरी पत्नी को मार डाला और वह मुझे भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मैं बड़ी मुश्किल से यहां पर उन सब से छुपा कर बैठ गया था। अच्छा हुआ जो आप लोग मुझे मिल गए हमें यहां से तुरंत निकलना चाहिए नहीं तो वह आत्मा हमें मार डालेंगे।
यह क्या बोल रहे हो तुम तुम्हारी बीवी तो हमारे पास आई थी तुम्हारी जान बचाने के लिए हम से मिन्नतें कर रही थी। विवेक ने बड़े ही आश्चर्य होकर उस आदमी से इस सवाल किया।
हे भगवान इसका मतलब वह आत्माएं आपके पास भी पहुंच गई है। यहां पर आप किसी पर भी भरोसा मत करिए वह आत्माएं किसी का भी रूप लेकर हमारे सामने आ सकती है। और हमें अपनी बातों से बहला-फुसलाकर हमारी जान ले लेते हैं। यह सब सुनके धवन के होस उड़ गए थे। आखिर अगर वह औरत एक भूत है तो फिर प्रीति और अर्जुन की जान खतरे में थी क्योंकि वह दोनों उस औरत के साथ ही गए थे। धवन ने तुरंत ही प्रीति को फोन लगाया। प्रीती और अर्जुन दोनों का फोन स्विच ऑफ आ रहा था। धवन ने उस आदमी को वहीं पर बैठने के लिए कहा वह अपने बाकी साथियों को लेकर उस आदमी के पास वापस लौटेगा ऐसा कहकर धवन तुरंत ही प्रीति और अर्जुन को ढूंढने निकल गया ।
वह दोनों उसे एक किले के एक छोटे से टूटे हुए कमरे में मिले। धवन को परेशान देखकर प्रीती बोल पड़ी की क्या बात है तुम दोनों इतने घबराए हुए क्यों सच में भूत देख लिया क्या?
जल्दी निकलो यहां से वह औरत जो हमारे साथ आई थी वो जरासर एक भूतनी है। वह हमें फंसा रही है। यह क्या कह रहे हो तुम ? हमें उसका पति ऊपर मिला था वह बता रहा था कि उसकी पत्नी को भूतों ने मार डाला है। यानी कि हमारे पास जो औरत आई थी वो कोई और नहीं बल्कि एक भूतनी थी। तभी वह औरत सबके सामने आकर खड़ी हो गई। उसे देख कर धवन बोलने लगा यह वह भूतनी हे जो हमारे सामने खड़ी है। ये क्या बोल रहे हो आप मैं भूतनी नहीं हूं मैं यहां पर अपने पति के साथ एक घूमने आई थी। बस मेरे सामने ही उन्होंने मेरे पति पर हमला कर दिया। में जैसे तैसे जिंदा बच के यहां तक आपकी मदद के लिए आई।
झूठ मत बोलो हमें तुम्हारा पति ऊपर मिला था वह बोल रहा था कि भूतो ने उसकी पत्नी को यानी कि तुम्हें मार दिया है। तभी प्रीती बोली जो इंसान मर चुकी है वो हमारे सामने कैसे खड़ी हो सकती है?
यह सुनने के बाद वो औरत बहुत जोर जोर से हंसने लगी ।
तो आखिरकार तुम्हें मेरी सच्चाई के बारे में पता चल ही गया। मैं सच में एक भूतनी हूं और ऊपर जो मिला था वह मेरा पति ही था। पर अफसोस की बात अब तुम सब यहां से जिंदा बचकर वापस नहीं जा पाओगे। यह सुनकर धवन, प्रीति, अर्जुन और विवेक उसके पति के पास भागे। क्योंकि उसके पति को वहां से बाहर निकलने का रास्ता पता था। वो सब भागने के लिए ऊपर की ओर तोड़े जहां पर उसका पति बैठा हुआ था। सब लोग वहां पर पहुंचने के बाद भगवान ने सब को आगे बढ़ने को कहा। तुम कहां जा रहे हो धवन? प्रीति ने धवन से पूछा । तुम सब चलो मैं बस अपना कैमरा लेकर पहुंचता हूँ।
यह कहते हुए धवन जैसे ही उस कमरे में पहुंचा जहां पर उसने अपने सारे कंपनी लैपटॉप और कैमरा सेट किए हुए थे। उसने देखा कि कमरे के अंदर प्रीति और अर्जुन की लाश पड़ी हुई थी। उसे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था। अगर यह दोनों यहां पर मर चुकी है तो फिर जो मेरे साथ थे वह कौन थे। जिंदगी में पहली बार धवन ने वास्तविक में किसी भूत को देखा था। उसे अब यकीन हो चला था कि आज की रात उसके लिए आखिरी रात है। फिर भी उसने अपने सारे डाक्यूमेंट्स उठाएं और वहां से निकलने के लिए निकल पड़ा। जैसे ही वो पीछे के रास्ते पर किले से बाहर निकलने के लिए क्या तो सारे के सारे फूल उसे मारने के लिए उसके पीछे पड़ गए। धवन के पास और कोई चारा नहीं था उसने एक पत्थर के नीचे छुपने का फैसला किया क्योंकि वह जानता था कि वह एक साथ इतने सारे भूतो से बच नहीं सकता। सुबह होने का इंतजार करने के अलावा उसके पास और कोई चारा नहीं था। धवन पत्थर के नीचे छुपा आपने मौत का इंतजार कर ही रहा था कि तभी उसके फोन पर अचानक प्रीति का कॉल आया। धवन तुम जहां पर भी हो तुरंत पीछे वाले दरवाजे पर पहुंचो।
धवन जान चुका था यह प्रीति नहीं बल्कि ये उसका भूत है। धवन ने पति से कहा तुम चाहे कितनी भी कोशिश कर लो मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाला। प्रति रो रो के बोलने लगी हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है धवन। हां यह सच है कि मैं अर्जुन और विवेक मर चुके हैं । पर हम तुम्हें यहां से जिंदा निकालेंगे मुझ पर यकीन करो और वहां से पीछे के दरवाजे की ओर भागे। हम ज्यादा देर तक इन आत्माओं को रोक नहीं पाएंगे। धवन की आंखों से आंसू निकल आए। वह जानता था कि प्रीति उसे कभी भी झूठ बोल नहीं सकती। उसने हिम्मत जूता कर पीछे के दरवाजे की ओर भागना शुरू किया। उसने देखा कि प्रीति अर्जुन और विवेक उसकी बाकी भूतों से रक्षा कर रहे हैं। मरने के बाद भी उन तीनों ने अपनी दोस्ती का फर्ज अदा किया। धवन आखिरकार किल्ले के आखिरी दरवाजे से बाहर निकल आया। और जब वापस मुड़कर देखा तो दूर खड़ी प्रीती, अर्जुन और विवेक उसे हाथ हिला रहे थे। और वह पति पत्नी उसे दोबारा उस किले के अंदर बुला रहे थे। अपनी इच्छाओं को पूरा करते चले धवन ने अपने तीन सबसे करीबी दोस्त को खो दिया था।
एक महीन के बाद जब धवन डायरेक्टर से मिलने आया तो उसने सारी बातें बताई। इसपर डायरेक्टर हस्ते हुए बोला :- इतना भी कहानी में घुसने की जरूरत नहीं है। भूत आम इंसान को नहीं दिखाई देते । लगता है बाहोत थक गए हो। मैने नीचे रिसेप्शन में एक चैक दिया है तुम्हारे नाम का ले जाना। धवन को पता था उसने जो देखा उसपे कोई यकीन नहीं करेगा। वो वहां से चुप चाप चला गया। नीचे जाकर देखा तो रिसेप्शन पे कोई नहीं था। बाहर बैठे चौकीदार से पूछा तो उसने कहा :- अरे जब डायरेक्टर साहब ही नहीं रहे तो फिर रिसेप्शन पर कोन होगा ?
क्या ? डायरेक्टर साहब?
हैं पिछले रात को ही उनकी मृत्यु हुई है।
वैसे भी ये भूत प्रेत आम इंसान को दिखते कहां है ?
आपका दिन शुभ हो।
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