दूसरी दुनिया - एक रहस्य भाग - 2

दूसरी दुनिया - एक रहस्य भाग - 2

मैने बोहोत कोशिश की पर में आपके बेटे को बचा नहीं सका। ये बात एक माँ को केहपना कितना मुश्किल हे मुझे उसदिन समझ आया। 

मेरे ये सब्द उसदिन एक माँ के सीने पे जो ज़ख्म कर गए उसे सायद ही कोई भर पाए। बहोत मुश्किल होता हे एक डॉक्टर बनना। जिंदगी और मौत के उस सफर को बेहद क़रीबसे महसूस किया हे मेने। बेबस हो जाता हूँ में। किसीको जिंदगी लौटा पाना हमारे बस  में कहाँ ? अपने इस दर्द को हलका करने, में चल पड़ा अपने एक दोस्त के पास जो पैसे से एक पारानोमाल साइंटिस्ट था। 

यूँ तो लोग उसे पागल कहा करते थे। पूरा दिन वो अपने आपको एक घर में बंद कर लेता।कभी कभी समय से परे लगता हे वो मुझे।  उसके घर जाने का मन तो नहीं करता पर आज मन बहोत भारी  हे। सायद वही हे जो मुझे मेरी तकलीफों से निजात दिला सके। में उसके पास अपने दर्द  का इलाज ढूंढ़ने अक्सर जाया करता हूँ । पर आज में वाकई में थक गया था। एक बचे की मौत ने मुझे अंदर से हिला दिया था। 

अरमान और में बचपन के दोस्त हे। बचपन से जनता हूँ उसे। अचानक एक दिन उसके पिताजी गायब हो गये। तबसे लेके आज तक अरमान  के स्वभाब में बहत सारे बदलाब हुए हे। वो अक्सर रात में किसी से बाते करता। उसके पिताजी के चले जाने के बाद मानो किसीने उसके बचपन ही छीन ली हो। अरमान पास में ही एक यूनिवसिटी  में संस्कृत का अध्यापक हे। जवान हे पर सादी नहीं की उसने।

करीब पौने ४ बजे के आस पास में उसके घर पहंचा। अरमान हमेसा के तरा कुर्सी पे बैठा अपने एक हात में कुछ पुरानी किताबे लिए बैठा हुआ था। और साथ में ही उसने एक रुद्राक्ष माला भी पकड़ा हुआ था।  मेने आज तक उस रूद्राक्ष्य माला को पकडे अरमान को कभी नहीं देखा। पर आज अरमान  इतना बिचलित क्यों लग रहा था ? क्या वजह हो सकती हे ? खेर वजह चाहे कुछ भी हो में अंदर चला गया , इस  बात से अनजान के आगे मेरे साथ क्या होने वाला हे।  मेने जैसे ही दरवाजा खोला तो अरमान ने पीछे अपने सर को धीरे से घूमते हुए मुझसे धीमी आवाज़ में कहा " जल्दी से अन्दर आ जाओ , बाहर खतरा हे " मेने उसकी बात मानी और अंदर चला गया।

क्या हुआ अरमान? आज बड़े परेशान लग रहे हो। सब ठीक हैं ना? मैंने हल्की आवाज़ में धीरे से उसके पास बैठते हुए उस से पुछा। तभी मेरा ध्यान उसके बाएं हाथ की ओर गया, उस के बाएँ हात में एक घाव था, एक डॉक्टर होने के नाते मेरा ये फ़र्ज़ बनता हैं के मैं उसका इलाज़ करूँ। पर अरमान ने मुझे रोकते हुए धीमे से कहा, "ये घाव एक ताकत वर प्रेत आत्मा ने बनाया हैं जो ठीक मेरे पीछे बैठी हैं और अगर में थोडासा भी हिला तो मेरे धड़ से मेरी गर्दन को अलग कर देगी।

ये सुनने में जितना ज्यादा डरावना था उससे कहीं ज्यादा अजीब। अपने दुख बाँटने चला में खुद एक बड़ी परेशानी में घिरता हुआ दिख रहा था। मेने ज्यादा सोचने के बजाए  उसके बातो को मान लेना ही ठीक समझा। और हालत के सुधरने का इंतजार करने लगा। कुछ ही देर बाद अरमान  खड़ा हुआ और एक हलकी सी मुस्कराहट के साथ मुझे बोला "तुम आज बच गए मेरे दोस्त " और जोर जोर से हसने लगा।

 ये क्या मजाक हे ? अगर मुझे कुछ होजाता तो ? मेने अभी भी धीमी आवाज़ से उसे कहा।

कैसे कुछ होजाता ? एक तुम ही तो हो डॉक्टर जिसे मुझपे भरोसा हे। में अपने एक लौते भरोसे को कैसे कुछ होने देता। और वैसे भी अब वो प्रेत आत्मा जा चुकी हे।  अब तुम उची आवाज़ में बात कर सकते हो।

पर अरमान  तुम्हारे हातो से ये खून कैसे निकला ?
ये एक लम्बी कहानी हे डॉक्टर किसी और दिन  सुनाऊंगा फुर्सत में। खेर तुम बताओ तुम किसलिए आए थे ? मेरे पास तुम्हारा क्या काम ? तुम ठहरे भगवान को मान ने वाले और हम नास्तिक आदमी। वैसे उदास लग रहे हो। 

में आज टूट सा गया हूँ यार।  एक माँ से उसके बेटे को चीन लिया मैंने।  बचाने की पूरी कोसिश कीथी यार पर नहीं बचा पाया। 

होता हे डॉक्टर कभी कभी होता हे।  सब कुछ हमारे हातों में कहाँ ? खुद को दोस मत दो। ये लो सराब पिलो मन हलका हो जायेगा। ये कहते हुए उसने मुझे एक सरब की बोतल थमा दी। 

 और मेरी बात मनो तो यूँ छोटी छोटी बातों पे दिल को छोटा मत करो। जीबन और मरण बस एक खेल ही तो हे। 

नहीं अरमान ये हलके में लेने वाली बात नहीं हे। उस माँ का उसके बचे के अलावा और कोई नहीं था।  और सायद मेने वो भी छीन लिया।

अरमान ने धीरे से सराब की गिलास को टेबल पर रखते हुए कहा :- अगर तुम कहो तो सायद में उस बचे को बचा सकता हूँ। उसने मेरे कानो के पास धीमी आवाज़ से कहा। 

क्या ? मेने उसके हात पकड़ के उससे दुबारा पुछा। क्या कहा तुमने ?

हाँ तुमने सही सुना में उसे दुबारा बचा सकता हूँ। ला सकता हूँ उसे वापिस। 

कैसे ? ये कैसे मुमकिन हे ? मेडिकल साइंस में ऐसा कोई तरीका नहीं हे। मैंने उसकी और नम आंखोसे देखा। 

हमारी आत्मा हमारी दुनिया छोड़ने के बाद और दूसरी दुनिया में जानेसे पहले एक अलग ही आयाम में रहती हे। जहांसे उसे दुबारा वापस लाया जासकता हे।

मुझे अरमान की बातों पर यकीं नहीं हो रहता। ये सच नहीं हो सकता। ये कैसे मुमकिन हे ? क्या तुम कोई जादूगर हो ? या फिर कोई तांत्रिक जिसका माथा फिर गया हो। मेरी आवाज़ में अब थोडीसी ताल्हिया आने लगी थी। 

जादूगरी आँखों का महज धोका हे। में जो करता हूँ उसके लिए कुर्वानी चाहिए। आत्मा के बदले आत्मा ?

क्या मतलब आत्मा के बदले आत्मा ? में एक डॉक्टर हूँ अरमान। तुम्हारी इन बेतुके, बहियाद जबाब सुनने को  मेरा कोई इरादा नहीं हे। तुम सच पागल हो गए हो अरमान। में इतना कह कर वहां से चला आया।

में सायद दुबारा कभी भी अरमान के पास नहीं जाता, पर अगले सुबह मेने जो देखा उसपे यकीं करपाना मेरे बस में नहीं था। वो बचा मेरे आँखों के सामने खेल रहथा। और पास वही उसकी माँ कड़ी मुझे मुस्कुराती हुई देखि जारही थी।
 
कहानी आगे भी जारी रहेगी












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